संवैधानिक विकास (Constitutional Development) :-भारत का संविधान

भारत का संविधान ,संवैधानिक विकास, 1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट,पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 ई.,1813 चार्टर एक्ट,1833 का चार्टर एक्ट,मार्ले मिन्टो सुधार अधिनिय

  भारत का संविधान {संवैधानिक विकास}:-

  • 1600 ई. के चार्टर एक्ट के तहत 31 दिसम्बर 1600 को लन्दन में 24 सदस्यीय EIC (ईस्ट इण्डिया कम्पनी) की स्थापना की गई।
  • इन 24 सदस्यों को बॉर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स (BOD) नाम दिया गया । BOD को पूर्वी देशों मे व्यापार करने का अधिकार प्रदान किया गया (15) वर्षो के लिए।
  • 1608 ई. मे EIC के प्रथम प्रतिनिधी के रूप में कैप्टन विलियम हॉकिंग्स भारत आया तथा इन्होने आगरा में जहाँगीर से भारत में व्यापार करने की अनुमति प्राप्त करने हेतु असफल मुलाकात की |
  • EIC ने 1613 में सूरत में अपना प्रथम व्यापारिक केन्द्र / कोठी स्थापित किया।
  • दिसम्बर 1615 में सर टॉमस रो भारत आये तथा इन्होने 10 जनवरी 1616 को अजमेर मे जहाँगीर से मुलाकात कर भारत मे व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की।
  • EIC ने 1617 ई. मे मद्रास के निकट मुसलीपटनम मे दक्षिणी भारत का प्रथम व्यापारिक केन्द्र स्थापित किया  ।
  • 1700 ई. में कलकता नगर की स्थापना की ।
  • 1726 के चार्टर एक्ट के तहत पहली बार विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था को अपनाते हुए बंगाल, बम्बई व मद्रास प्रेसीडेन्सी मे अलग -2 गवर्नर नियुक्त किये गये ।
  • 1757 के प्लासी के युद्ध को भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का प्रथम प्रयास माना जाता है ।
  • 1764 के बक्सर के युद्ध के उपरान्त भारत मे ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई ।


भारत का संवैधानिक विकास
संवैधानिक विकास

1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट :-

  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ द्वारा स्वीकृत इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य E.I.C. (ईस्ट इण्डिया कम्पनी) पर ब्रिटिश संसद का नियंत्रण स्थापित करना था ।
  • इस एक्ट के तहत पहली बार केन्द्रीकरण की व्यवस्था को अपनाते हुए बम्बई व मद्रास प्रेसीडेन्सी को बंगाल प्रेसीडेन्सी के अधीन कर दिया गया।
  • बंगाल मे गवर्नर जनरल (G. G.) का पद सृजित किया गया।
  • इन तीनो प्रेसीडेंसी मे विधि (कानून) बनाने का अधिकार बंगाल के गवर्नर जनरल व इसकी 4 सदस्यीय परिषद को दिया गया।
  • वारेन हैस्टिंग्स बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल बने।
  • इस एक्ट के तहत 1774 में कलकता में एपेक्स न्यायालय स्थापित किया गया। जिसमे 1 मुख्य न्यायाधीश व 3 अन्य न्यायाधीश रखे गए
  • सर एलेजा इम्पे इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश बने ।
  • एपेक्स न्यायालय भारत का सबसे बड़ा अपीलीय न्यायालय नहीं था, क्योकि इसके निर्णय के विरुद्ध अपील ब्रिटेन की प्रीवी कौंसिल मे की जा सकती थी।
  • इस एक्ट में सुधार करने हेतु 1781 में एक्ट ऑफ सेटलमेंट लाया गया जिसके तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को बंगाल, बम्बई, मद्रास , बिहार व उडीसा मे विधि बनाने का अधिकार दिया गया।
  • संवैधानिक विकास का प्रारम्भ रेग्यूलेटिंग एक्ट से हीं माना जाता है |
  • वास्तविक प्रारम्भ :- 1861 के भारत परिषद अधिनियम से माना जाता है |

पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 ई. (Pitt's India Act 1784) :-

  • इस एक्ट का नाम ब्रिटिश प्रधानमंत्री विलियम पिट के नाम पर पड़ा।
  • इसके तहत EIC (ईस्ट इंडिया कंपनी) कम्पनी के कार्यों को व्यापारिक व राजनैतिक दो भागो मे विभाजित कर दिया गया।
  • व्यापारिक कार्य BOD (बोर्ड ऑफ डायरेक्टरस) के पास यथावत रखे गए।
  • राजनीतिक कार्यों हेतु 6 सदस्यीय नियंत्रक मण्डल (BOC) की स्थापना की गई।
  • इस एक्ट के तहत BOD व BOC के माध्यम से कम्पनी के कार्यों के संबंध में द्वैध शासन ( दोहरा शासन) लागू किया गया जो 1858 तक चला।
  • पिट्स एक्ट के तहत पहली बार EIC के अधिकार क्षेत्र वाले भारतीय क्षेत्रों पर ब्रिटिश सम्राट का प्रभुत्व घोषित करते हुए इन क्षेत्रों हेतु " ब्रिटिश अधिकाराधिन भारतीय क्षेत्र " शब्दावली का प्रयोग किया गया।

1813 चार्टर एक्ट {Charter Act of 1813} : -

  • इस एक्ट के तहत भारत के साथ चाय तथा चीन के साथ व्यापार के एकाधिकार को छोड़कर EIC के व्यापार करने के एकाधिकार को समाप्त कर दिया |
  • घोषणा की गई की भारत मे व्यापार अन्य यूरोपियन नागरिक भी कर सकते हैं ।
  • ईसाई धर्म प्रचारक मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार करने तथा व्यापार करने का अधिकार प्रदान किया गया ।
  • प्रावधान किया गया कि कम्पनी सालाना 1 लाख रु. भारत में शिक्षा पर खर्च करेगी तथा 20 हजार अंग्रेजी सैनिक अपने खर्च पर भारत मे रखेगी।
  • गवर्नर जनरल व प्रधान सेनापति की नियुक्ति का अधिकार ब्रिटिश सम्राट को सौंपा गया।

1833 का चार्टर एक्ट {Charter Act of 1833} : -

  • भारत के साथ चाय व चीन के साथ व्यापार को समाप्त कर दिया गया ।
  • इसी एक्ट के तहत EIC (ईस्ट इंडिया कंपनी) के व्यापार करने के अधिकार को समाप्त कर दिया गया। तथा घोषणा की गई की कम्पनी आगे से केवल राजनीतिक कार्य ही करेगी।
  • इस एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल घोषित कर दिया गया तथा ब्रिटिश भारत में विधि बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल व उसकी 4 सदस्यीय परिषद को दिया गया।
  • इन 4 सदस्यीयों में 1 विधि सदस्य शामिल करने का प्रावधान किया गया।
  • लॉर्ड मेकाले गवर्नर जनरल की परिषद में नियुक्त होने वाले प्रथम विधि सदस्य थे।
  • मैकाले की अध्यक्षता में ही 1834 मे 4 सदस्यीय विधि आयोग गठित किया गया। जिसका मुख्य कार्य भारत के लिए आये नियमों व कानूनों को तथा आने अधिनियमों को लिपीबद्ध करना था।
  • इसी एक्ट के तहत 1843 में दास प्रथा को प्रतिबन्धित किया गया।
  • लॉर्ड विलियम बैटिंक भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने (बंगाल का अंतिम गवर्नर जनरल )
  • लार्ड स्टेनले प्रथम भारत सचिव नियुक्त हुए। व दूसरा चार्ल्स वुड
  • गवर्नर जनरल को भारत मे ब्रिटिश सम्राट का प्रत्यक्ष प्रतिनिधि घोषित किया गया। तथा इसे सम्राट के प्रतिनिधी के रूप में
  • वायसराय पद नाम दिया गया।
  • लार्ड कैनिन भारत के प्रथम वायसराय बने। ( ब्रिटिश भारत के अन्तिम गवर्नर जनरल )
  • 1858 के एक्ट के सम्बन्ध में महारानी विक्टोरिया द्वारा की गई उद्‌‌घोषणा को 1 नवम्बर 1858 को इलाहाबाद मे आयोजित दरबार मे लॉर्ड कैनिन ने पढ़कर सुनाया ।
  • भारत के शिक्षित वर्ग ने इस एक्ट को अपने अधिकारों का मेग्नाकार्ट कहा ।

1861 का भारत परिषद अधिनियम { Indian Council Act of 1861 }:-

  • इस एक्ट के तहत वायसराय लार्ड कैनिन ने क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त के तहत विधायी कार्यों हेतु पहली बार विधान परिषद में भारतीयों को शामिल किया।
  • इसी एक्ट से संवैधानिक विकास की वास्तविक शुरूआत मानी जाती है।
  • इस एक्ट के तहत लॉर्ड कैनिन ने विभागीय व्यवस्था तथा मंत्रिमण्डलीय व्यवस्था लागू की ।
  • इस एक्ट के तहत पहली बार 1862 में कलकता, बम्बई व मद्रास मे उच्च न्यायालय (H.C.) स्थापित किये गये। जो 1866 में इलाहाबाद के साथ 4 हो गए ।
  • इस एक्ट के तहत वायसराय को नई प्रान्तो का गठन करना, विधेयको पर विटो करने तथा अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया ।
  • 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत की गई केन्द्रीयकरण की व्यवस्था को पुन: विकेन्द्रीकरण में बदलते हुए। बम्बई व मद्रास प्रेसीडेन्सी को बंगाल प्रेसीडेन्सी के नियंत्रण से स्वतंत्र कर दिया गया।

1892 का भारत परिषद अधिनियम { Indian Council Act of 1892 }:-

↪ विधान परिषद की सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 16 कर दी गई 
↪ पहली बार निर्वाचन व्यवस्था को अपनाया गया परन्तु यह पूर्णतया अप्रत्यक्ष था | 
↪ इस एक्ट के तहत प्रतिनिधि शासन तथा संसदीय शासन का अप्रत्यक्ष रूप से सुभारम्भ हुआ | 
↪ प्रांतो के सदस्यों को तथा विधान परिषद में भारतीय सदस्यों को बजट पर विचार - विमर्श करने तथा प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया | 

✳  1909 का भारत परिषद अधिनियम :- ( मार्ले मिन्टो सुधार अधिनियम )

↪ भारत सचिव लॉर्ड मार्ले तथा भारत के वायसराय लॉर्ड मिन्टो ने 1906 में एक सुधार योजना बनाई इस सुधार योजना की जाँच करने हेतु 1906 में सर A. एरुलैंड समिति गठित की गई |
↪ इसी समिति की सिफारिश पर इस सुधार योजना को 1909 के अधिनियम के रूप में भारत में लागू किया गया | 
↪ इस एक्ट के तहत पहली बार प्रशासनिक कार्यो में भारतीयों को भागीदार बनाने हेतु वायसराय की कार्यकारिणी में प्रथम भारतीय सदस्य के रूप में  सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा को शामिल किया गया | 
↪ विधायी कार्यो में भारतीयों की भागीदारी को भी बढ़ाया गया भारतीय केंद्रीय विधान परिषद का नाम बदलकर औपनिवेशिक विधान परिषद कर दिया गया |  तथा इसकी सदस्य संख्या 60 कर दी गई | 
↪ पहली बार प्रत्यक्ष निर्वाचन अपनाते हुए मताधिकार प्रदान किया गया | 
↪ कुल जनसंख्या के 3% भाग को मताधिकार दिया गया | 

नोट :- मताधिकार की न्यूनतम आयु 25 वर्ष रखी गई | 

↪ महिलाओं को मताधिकार प्रदान नहीं किया गया | 
↪ सम्पति, कर व  उपाधियाँ मताधिकार के आधार थे | 
↪ प्रान्तो व भारतीय सदस्यों को बजट पर पूरक प्रश्न पूछने का भी अधिकार दिया गया | 
↪ इसी एक्ट जे तहत सम्प्रदाय को वैधानिक मान्यता प्रदान करते हुए मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए पृथक निर्वाचक मंडल (अपने में से अपना प्रतिनिधि चुनना ) प्रदान किया गया तथा साम्प्रदायिक निर्वाचक प्रणाली लागू  की गई | 
↪ कांग्रेस ने अपने 1916 के लखनऊ अधिवेशन में सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को स्वीकृति प्रदान की | 
↪ यही साम्प्रदायिक निर्वाचक प्रणाली भारत विभाजन का मुख्य कारण  बनी | 

नोट :- के. एम. मुंशी के अनुसार :- इस एक्ट के तहत भारत में उभरते हुए प्रजातंत्र / लोकतंत्र को ही मार डाला गया | 

1919 का भारत शासन / सरकार अधिनियम :-

 इसे मांटेग्यू चेम्स फोर्ड / माउन्ट फोर्ड भी कहा जाता है | 
↪ इस एक्ट को जारी करने के पीछे मुख्य 2 कारण थे -
(i) 1916 का होमरूल आन्दोलन 
(ii) 1916 के मेसोपोटामिया कमीशन की रिपोर्ट जिसमे ब्रिटिश सरकार को भारत में विफल बताया गया | 

↪ 20 अगस्त 1917 को ब्रिटिश सरकार ने पहली बार घोषणा की कि हमारा उद्देश्य भारत में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है | 
↪ उत्तरदायी शासन की स्थापना करना इस एक्ट की प्रस्तावना बनाई गई | 
↪ 1918 में भारत सचिव मांटेग्यू तथा वायसराय चेम्स फोर्ड ने एक योजना निर्मित की जिसे 1 अप्रैल 1921 को 1919 के अधिनियम के नाम से लागू की गई | 
↪ इस एक्ट में उत्तरदायी शासन की स्थापना करने के बजाए भारत के एक प्रभावशाली वर्ग को 10 वर्षों के लिए ब्रिटिश सरकार के पक्ष में करने सम्बन्धी प्रावधान किये गए | 
↪ इस एक्ट में प्रशासनिक व विधायी दोनो कार्यों में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाया गया | 
↪ प्रशासनिक कार्यो में भागीदारी को बढ़ाते हुए वायसराय की कार्यकारिणी में विधि, शिक्षा, एवं उद्योग सदस्य के रूप में तीन भारतीयों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है | 
↪ इस एक्ट के तहत पहली बार केंद्र में द्विसदनीय विधानमण्डल स्थापित किया गया | 


    

❋ केंद्र में 1919 का द्विसदनीय विधानमण्डल :-

1. विधानसभा --- सदस्य संख्या ⇒ 145            2. विधानपरिषद --- सदस्य संख्या ⇒ 60 
            ↳ कार्यकाल ⇒ 3 वर्ष                          ↳ कार्यकाल - स्थायी सदन ( सदस्य का कार्यकाल 5 वर्ष )

↪ इस एक्ट के तहत प्रांतो में विधान परिषद के रूप में एक सदनीय विधानमंडल का गठन किया गया | 
सदस्य संख्या - न्यूनतम - 60  अधिकतम - 140 
↪ इस एक्ट के तहत पहली बार 2 सूचियों के माध्यम से केंद्र व प्रान्तों के मध्य शक्तियों का विभाजन किया गया | 

1. केंद्रीय सूचि    2. प्रांतीय सूचि 
↪ इस एक्ट के तहत प्रांतीय सूचि के विषयो को आरक्षित व हस्तानांतरित दो भागो में विभाजित करते हुए आठ प्रांतो में 1 अप्रैल 1921 को द्वैधशासन लागू किया गया ( बंगाल, बिहार, असम, संयुक्त प्रान्त, मध्यप्रान्त, बम्बई, मद्रास, पंजाब )
↪ इस एक्ट के तहत प्रान्तीय बजट को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया तथा प्रान्तो को बजट निर्माण का अधिकार दिया गया | 
↪ इसी  के तहत एक बर्थ समिति  सिफारिश पर आम बजट व रेल बजट को अलग - अलग किया गया | 
↪ इस एक्ट में लोक लेखा समिति का गठन किया गया तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का पद सृजित किया गया | 
↪ इस एक्ट के तहत मताधिकार का विस्तार करते हुए इसे उसे 10% कर दिया गया तथा महिलाओं को भी मताधिकार प्रदान किया गया | 
↪ पृथक निर्वाचक मण्डल को मुसलमानों सहित सिक्ख, भारतीय ईसाई, यूरोपियन, तथा आंग्ल - भारतीयों पर भी लागू कर दिया गया | 
↪ इस एक्ट में लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया इसका नाम इम्पीरियल ( संघ ) लोक सेवा आयोग रखा गया | 
↪ इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1926 को सर रोज बार्कर की अध्यक्षता में किया गया | 
↪ लंदन स्थित भारत परिषद की सदस्य संख्या न्यूनतम 8 व अधिकतम 12 कर दी गई | 
↪ उदारवादियों ने इस एक्ट को भारत को भारत का मैग्नाकार्टा कहा |  इस एक्ट की समीक्षा हेतु 10 वर्षीय आयोग के गठन का प्रावधान किया गया | 


❋ साइमन कमीशन ( श्वेत कमीशन ) :-

↪ गठन - 08 नवम्बर 1927 को भारत सचिव बार्किन हैड द्वारा 
↪ सदस्य - 7 ( सभी अंग्रेज ) अध्यक्ष - सर जॉन साइमन 
↪ गठन का कारण - 1919 के एक्ट की समीक्षा करना 
↪ भारत पहुंचा - 03 फरवरी 1928 को बम्बई में | 
↪ विरोध हुआ - कांग्रेस + सभी दलों द्वारा विरोध किया गया | 
सहयोग - B. R. आंबेडकर व मुस्लिम लीग पार्टी का सहनवाज हुसैन गुट ने | 
↪ वर्ष 1930 में रिपोर्ट सौंपी गई | 
↪ रिपोर्ट पर विचार करने के लिए 3 गोलमेज सम्मेलनों का आयोजन 1930, 1931 व 1932 में किया गया | 
↪ कांग्रेस ने गाँधी के नेतृत्व में केवल 1931 के द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया | 
↪ 5 मार्च 1931 को तेग बहादुर सप्रू के प्रयासों से दिल्ली में हुए गाँधी - इरविन समझौते के आधार पर कांग्रेस ने इस गोलमेज सम्मलेन में भाग लिया था | 
↪ 16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मेक्डोनाल्ड ने साम्प्रदायिक पंचाट ( अवार्ड) की घोषणा की जिसमे दलितों सहित 11 समुदायों को पृथक - निर्वाचक मंडल प्रदान किया गया | 
↪ दलितों के लिए की गई पृथक निर्वाचक मण्डल की व्यवस्था का गाँधी जी ने विरोध किया तथा पूना की यरवदा जेल में आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया जिसके बाद B. R. आंबेडकर व गाँधी जी के मध्य समझौता हुआ जिसमे दलितों के लिए सीटे आरक्षित की गई जिसे पूना समझौता कहा गया | 
20 सितम्बर 1932 को अनशन प्रारम्भ कर दिया गया गाँधी जी ने, 26 सितम्बर 1932 को डॉ राजेंद्र प्रसाद व मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से गाँधी जी व आंबेडकर जी के मध्य पूना समझौता हुआ | जिसमे संयुक्त हिन्दू निर्वाचन व्यवस्था के अंतर्गत दलितों के लिए स्थान आरक्षित रखने पर सहमति बनी | 
↪ इस समझौते को पूना पैक्ट भी कहा जाता है | 
↪ तीसरे गोलमेज सम्मेलन के बाद 1933 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नये अधिनियम के निर्माण करने हेतु श्वेत - पत्र जारी किया गया | 


❋ -1935 का भारत सरकार / शासन अधिनियम :-

↪ निर्माण की घोषणा - वर्ष 1933 में 
↪ निर्माण - वर्ष 1935 में 
↪ लागू - 01 अप्रैल 1937 से 
↪ इस एक्ट में भी उत्तरदायी शासन की स्थापना करना प्रस्तावना बनाई गई | 
↪ यह एक्ट एक विस्तृत प्रलेख था जिसमे कुल 448 अनुच्छेद व 16 अनुसूचियाँ थी | 
↪ प्रारम्भिक 321 अनुच्छेद तथा 10 अनुसूचियां भारत पर तथा शेष बर्मा पर लागू होती थी | 
↪ इसी एक्ट के तहत बर्मा को भारत से अलग किया गया | 
↪ इस एक्ट के तहत संघात्मक शासन स्थापित करने हेतु अखिल भारतीय संघ की स्थापना का प्रावधान किया गया जिसमे 11 ब्रिटिश प्रान्तो, 6 चीफ कमिश्नरी क्षेत्रो तथा देसी रियासतों को शामिल करने का प्रावधान किया गया | 
↪ देशी रियासतों का संघ में शामिल नहीं होने के कारण अखिल भारतीय संघ स्थापित नहीं हो सका | 
↪ पंडित नेहरू ने इस एक्ट को दासता का घोषणा पत्र या दासता का चार्टर कहा तथा इसे अनेक ब्रेको वाली इंजन रहित गाड़ी की संज्ञा दी | 
↪ इस एक्ट के तहत पहली बार तीन (3) सूचियों के माध्यम से शक्तियों का विभाजन किया गया |
↪ संघीय सूची, प्रांतीय सूची, समवर्ती सूची 
↪ 1. संघीय सूची:- संघीय सूची में कानून का निर्माण संघ सरकार द्वारा किया जाता था, जिसमे कुल 59 विषय थे | 
    2. प्रांतीय सूची:- प्रांतीय सूची में कानून का निर्माण प्रांतीय सरकार द्वारा किया जाता था, जिसमे कुल 54 विषय थे
    3. समवर्ती सूची:- इसमें कानून का निर्माण संघ सरकार द्वारा किया जाता है जिसमे कुल 36 विषय थे | 
 
↪ अवशिष्ट विषय :- वायसराय के पास थे |

नोट :- 1935 के एक्ट में भी केंद्र में द्विसदनीय विधानमण्डल स्थापित किया गया |

❋ केंद्र में 1935 का द्विसदनीय विधानमण्डल :-

1. विधानसभा :- सदस्य संख्या 375 , कार्यकाल - 5 वर्ष 
2. राज्य परिषद :- सदस्य संख्या 260 , कार्यकाल - स्थायी सदन जिसमे सदस्य का कार्यकाल  - 6 वर्ष 

↪ इस एक्ट के तहत पहली बार प्रान्तो में द्विसदनीय विधानमण्डल स्थापित किया गया | 

❋ प्रान्तो में द्विसदनीय विधानमण्डल :- 

1.  विधानसभा   2. विधानपरिषद 

↪ यह 6 प्रान्तो में लागू किया गया ( बंगाल, बिहार, असम, संयुक्त प्रान्त, बम्बई, मद्रास )
↪ इस एक्ट के तहत द्वैधशासन को प्रान्तो से हटाकर केंद्र में लागू कर दिया गया तथा केंद्र के विषयों को आरक्षित व हस्तानान्तरित दो भागों में विभाजित कर दिया गया | 
↪ इस एक्ट के तहत प्रान्तो को स्वायत्तता प्रदान करते हुए प्रान्तो में उत्तरदायी शासन की स्थापना की गई परन्तु उत्तरदायी शासन की व्यवस्था को 1939 में समाप्त कर दिया गया | 
↪ इस एक्ट के तहत प्रान्तो व देशी रियासतों में भी लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया | 
↪ इस एक्ट के तहत लंदन स्थित भारत परिषद को समाप्त कर दिया गया तथा भारत सचिव की सहायता हेतु लंदन में हाई कमिश्नर (उच्चायुक्त) की नियुक्ति की गई | 
↪ इस एक्ट के तहत कलकत्ता स्थित अपैक्स न्यायालय को 1 अक्टूबर 1937 को दिल्ली हस्तानान्तरित कर दिया गया तथा इसका नाम संघीय न्यायालय (फैडरल कोर्ट ) कर दिया गया | इसमें 1  मुख्य न्यायाधीश व 6 अन्य न्यायाधीश रखे गये | 
सर मॉरिस ग्वायर इसके प्रथम न्यायाधीश बने